घरेलू बचत के वित्तीयकरण में तेजी से हो रही वृद्धि, अधिक से अधिक भारतीय इक्विटी में कर रहे निवेश : एसबीआई
भारत में घरेलू बचत के वित्तीयकरण में तेजी से वृद्धि हो रही है। देश में घरेलू बचत का इक्विटी में निवेश वित्त वर्ष 2020 में 2.5 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 5.1 प्रतिशत दर्ज किया गया है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में दी गई।
कर्नाटक में उत्पादन घटने से राई की कीमतों में भारी उछाल, खाद्य निर्माताओं की बढ़ी चिंता
कर्नाटक में राई (सरसों) का उत्पादन करीब 35% घटने से इसकी कीमतें उछल गई हैं। जयपुर मंडी में कर्नाटक की राई ₹190-₹200 प्रति किलो बिक रही है, जबकि डेढ़ माह पहले यह ₹140 थी। अचार और अन्य खाद्य पदार्थ बनाने वालों की लगातार मांग, और मंडियों में पुराने स्टॉक की कमी ने कीमतों में तेजी लाई है। व्यापारियों का अनुमान है कि थोक भाव जल्द ही ₹210 प्रति किलो पार कर सकते हैं। सरसों सीड में भी तेजी के कारण फिलहाल कीमतों में मंदी के आसार नहीं हैं, जिससे खाद्य निर्माताओं की लागत बढ़ेगी।
ईरान-इजरायल संघर्ष का असर : बासमती चावल निर्यातकों ने भुगतान संकट और कीमतों के गिरने की दी चेतावनी
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष का असर भारत के बासमती चावल व्यापार पर पड़ने लगा है। रविवार को निर्यातकों ने चेतावनी दी कि यदि स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ तो भुगतान संकट उत्पन्न हो सकता है और चावलों की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है।
तिल्ली बाजार में भारी गिरावट: ₹150 से ₹85 प्रति किलो पर लुढ़के भाव, व्यापारियों की बढ़ी चिंता
सफेद तिल्ली के थोक भाव ₹150 से गिरकर ₹80-85 प्रति किलो हो गए हैं, जिससे व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है। इसका मुख्य कारण कमजोर निर्यात मांग, देश में अधिक उत्पादन और अफ्रीकी देशों से सस्ते आयातित तिल्ली का भारी स्टॉक है। फिलहाल बाजार में तेजी के आसार नहीं हैं।
एक माह में 250 रुपए महंगी हुई बिनौला खल: बढ़ती मांग और कम आपूर्ति बनी वजह
जयपुर मंडी में बिनौला खल की कीमतें एक माह में ₹250/क्विंटल बढ़कर ₹3850-₹4200 पर पहुंच गईं, जिसका कारण बढ़ती पशुचारा मांग और कपास की कम उपलब्धता है। अनुमान है कि 73 लाख टन मांग के मुकाबले 66 लाख टन ही उत्पादन होगा, जिससे कीमतें बढ़ेंगी। इसके विपरीत, लाल तिल पपड़ी और डली की कीमतें 15 साल के निचले स्तर पर आ गई हैं (पपड़ी ₹2100/क्विंटल), अधिक उत्पादन और कमजोर मांग के कारण।
टाटा पंच और नेक्सन बनीं कंपनी की रीढ़: मई में दिया 60 प्रतिशत बिक्री का योगदान
मई 2025 में टाटा मोटर्स की कुल बिक्री 11% गिरी, लेकिन पंच और नेक्सन ने कुल बिक्री का 60% (26,000+ यूनिट्स) योगदान दिया। टाटा पंच की 13,133 यूनिट्स बिकीं, जबकि नेक्सन ने 13,096 यूनिट्स के साथ 14% की वृद्धि दर्ज की। मल्टी-फ्यूल विकल्पों और उच्च सुरक्षा रेटिंग के कारण ये दोनों SUV कंपनी की बिक्री की रीढ़ बनी हुई हैं, जो ग्राहकों के मजबूत भरोसे को दर्शाती हैं।